आज एक ऐसी घटना के बारे में बात करेगें जिसको
पढ़कर आप सब हैरान हो जायेंगे की कैसे कानून का गलत इस्तेमाल करके एक बेगुनाह की
जिंदगी को तबाह कर दिया गया एक निर्दोष व्यक्ति ने अपनी जवानी के 20 साल जेल में
काटे बाद में माननीय कोर्ट को लगा की व्यक्ति निर्दोष है तब उसे 20 साल बाद जेल से
बहार निकला गया उसके बदले उसे मिला क्या 600 रुपैये जिससे वो घर पहुच जाये आईये
जानते है इस पूरे घटना क्रम के बारे में |
Vishanu Tiwari :16 सितंबर 2000
उत्तर प्रदेश का एक जिला ललितपुर ,ललितपुर जिले
में आने वाला एक छोटा सा गांव सिलावन यही के रहने वाले विष्णू तिवारी जिनके ऊपर एक
महिला ने झूठा रेप का मुकदमा दर्ज कराया उस वक्त विष्णू तिवारी की उम्र 18 वर्ष थी
पुलिस जांच करती है और बड़ी ही फुर्ती से विष्णू तिवारी को धर दबोचती फिर उसके बाद
शुरू होता है पुलिस का खेल झूठे गवाह झूठे बयांन दर्ज किये जाते है और आनन फानन
में झूठी चार्टशीट पेश कर दी जाती है कोर्ट से विष्णू तिवारी को 10 साल की सजा
सुनायी जाती है लेकिन आरोप लगाने वाली महिला SC थी तो पुलिस उस पर SC/ST एक्ट भी
लगा देती है SC/ST एक्ट में विष्णू तिवारी को उम्र कैद की सजा होती है |
जुल्म की हद तो तब हो गयी जब ललितपुर के जिला
न्यायलय ने पुलिस की झूठी चार्टशीट को आधार मानते हुए 24 फरवरी 2003 को रेप मामले
में 10 साल और SC/ST एक्ट के तहत उम्र कैद की सजा सुनायी सजा के बाद विष्णू तिवारी
को जेल में कैद कर दिया गया पुलिस की झूठी चार्टशीट और कोर्ट के गलत फैसले ने
विष्णू तिवारी की पूरी जिंदगी को ख़त्म कर दिया उसने अपनी जवानी के 20 साल जेल में
बिताये उसके बिताये गये 20 साल को वापस कौन लौटाएगा इसका जवाब किसी के पास नहीं है
शायद कानून की उस देवी के पास भी नहीं जो आँखों पर पट्टी बांधें हुए है हम सभी
हमेशा से कानून के बारे में बहुत शी कहानियाँ सुनते आये है लेकिन कानून का गलत
इस्तेमाल भी होता है ये अब पता चला विष्णू तिवारी के माँ-बाप ने अपने जवान बेटे के
जेल जाने के गम में तड़प तड़प कर दम तोड़ दिया विष्णू तिवारी अपनी बेगुनाही का चीख
चीख कर सबूत देता रहा लेकिन सिस्टम को उसपर दया नहीं आयी और उसकी बेगुनाही की
चीखों ने जेल की चहारदीवारी में दम तोड़ दिया |
विष्णू तिवारी को 2021 को कोर्ट ने निर्दोष पाया उसका आधार ये था की विष्णू तिवारी का उक्त महिला से जमीनी विवाद था जिसके चलते उसको झूठे मुकदमे में फसाया गया था पुलिस की झूठी चार्टशीट को भी कोर्ट ने नकार दिया कोर्ट के निर्देश पे विष्णू तिवारी को 2021 को आगरा सेंट्रल जेल से रिहा कर दिया गया 20 साल जेल में बिताने के बदले विष्णू तिवारी को 600 रुपैये दिए गये जिससे वो आगरा से अपने गांव पहुच जाये |
कोर्ट के फैसले ने विष्णू
तिवारी की जिंदगी में फिर से उजाला कर दिया जो 20 साल उसने काल कोठरी में बिताये
थे उसमे कोर्ट के फैसले से एक रोशनी की किरण दिखायी दी लेकिन क्या विष्णू तिवारी
के जीवन में फिर से उजाला हो पायेगा उसका खोया हुआ आत्म सम्मान वापस हो पायेगा या
उसके जवानी के वो 20 साल वापस आ पायेंगे जो उसने जेल की काल कोठरी में बिताये इसका
जवाब किसी के पास नहीं है विष्णू तिवारी के माँ–बाप को वापस कौन लेके आयेगा
जिन्होंने अपने जवान बेटे के गम में दम तोड़ दिया और विष्णू तिवारी ने अपनी जवानी
में ही माँ-बाप को खो दिया विष्णू तिवारी की आँखों में अब सिर्फ एक खालीपन दिखायी
देता है उसकी आँखें पूरे सिस्टम और समाज से सिर्फ यही सवाल करती है की उसको किस
बात की सजा मिली इसका जवाब किसी के पास नही है इसका जवाब तो महरौनी पुलिस स्टेशन के पास भी
नहीं है जहा पर उसके ऊपर झूठा मुकदमा दर्ज किया गया |
16 साल डिफेक्टिव केस में पड़ा रहा मामला
विष्णू तिवारी का मामला
16 साल तक डिफेक्टिव मामले में पड़ा रहा जो रिपोर्ट दर्ज करवाई गयी थी वो कुछ इस
प्रकार है 16 सितंबर 2000 को दिन में लगभग
2 बजे विष्णू तिवारी ने गांव की ही रहने वाली महिला से रेप किया महिला उस वक्त
अपने खेतों पर काम करने जा रही थी तीन दिनों के पश्चात महिला के घरवालों ने पुलिस
स्टेशन में रिपोर्ट दर्ज करवाई पुलिस ने जांच की और विष्णू तिवारी को गिरफ्तार कर
लिया और कोर्ट में डिफेक्टिव चार्टशीट पेश कर दी हैरानी की बात तो तब हुयी जब
कोर्ट ने डिफेक्टिव चार्टशीट आधार बनाकर विष्णू तिवारी को उम्र कैद की सजा सुना दी
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Vishanu Tiwari : कैसे साबित हुआ निर्दोष
हाईकोर्ट में सुनवायी के दौरान उच्च-न्यायलय ने पाया की सेशन कोर्ट ने सिर्फ ST/ST एक्ट को आधार सिर्फ इस बात को बनाया की महिला ST/ST जाति से आती है कोर्ट में ये बात कहीं भी साबित नही हो रही थी की विष्णू तिवारी ने जाति सूचक शब्दों का इस्तेमाल किया हो या जाति के आधार पर जुर्म किया हो महिला ने उक्त घटना को अपने पति को नही बताया घटना के एक दिन बाद उसने घटना का जिक्र अपने ससुर से किया मेडिकल एग्जामिनेशन में रेप की पुष्टि ही नही हुयी महिला ने जब घटना की शिकायत दर्ज करवायी थी तब वह गर्ववती थी शिकायत करता और गवाहों के बयानों में तमाम तरीके की असमानतायें थी |
उच्च-न्यायलय ने
इसी को आधार बनाते हुये सेशन कोर्ट के फैसले को बदल दिया विष्णू तिवारी के जेल
जाने के बाद उसके पिता ये सदमा बर्दास्त नही कर सके और उनको लकवा मार गया कुछ
दिनों बाद विष्णू के पिता की मौत हो गयी पिता के मौत के बाद विष्णू तिवारी के बड़े
भाई की मौत हो गयी पांच भाईयों में विष्णू सबसे छोटा था पिता और बड़े भाई की मौत के
बाद विष्णू के एक और भाई की मौत हो गयी अपने पति और 2 बेटों की मौत के बाद विष्णू
की माँ का भी देहांत हो गया सबसे ज्यादा आश्चर्य तब हुआ की परिवार में चार लोगों
की मौत के समय एक बार भी विष्णू तिवारी को पेरोल नही मिला विष्णू अंतिम बार अपने
माँ-बाप के दर्शन नही कर पाया अब ये विष्णू तिवारी का दुर्भाग्य कहा जाये या
सिस्टम की खामी ये आप लोग सोचें और विचार करें की विष्णू के साथ जो हुआ क्या वो
सही था इसमे गलती किसकी थी उस महिला की जिसने झूठे मुक़दमे में विष्णू को फसाया या
ललितपुर पुलिस की जिसने झूठी चार्टशीट पेश की आप सभी पाठक गण इस पर विचार जरूर
करें आज की क्राइम स्टोरी में बस इतना ही फिर मिलेंगे एक नयी स्टोरी के साथ तब तक
के लिए अलविदा |
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