Pune Porsche Case
पुणे केस मामले में जिस तरह से परत दर परत खुल
रही है वो बेहद चौकाने वाली है किस तरह से शराब के नशे में चूर एक लड़के ने दो
जिंदगियों को निगल लिया और फिर शुरू हुआ उसे बचाने का दौर किसी को मरने वाले उन दो
के घर वालों की फिकर नही थी चिंता थी तो
बस उस शराबी लड़के की, लड़के के पिता ने जिस तरह से पूरा सिस्टम हैक किया और उसे
सुबह कोर्ट से बेल मिली उससे तो यही लगता है की पैसे वालों के आगे हमारा पूरा
सिस्टम ही बेबस और लाचार हो जाता है सबसे बड़ा मजाक तो तब लगता है जब कोर्ट में उसे
सजा के तौर पर परिवहन नियम पर निबंध लिखने को कहा जाता है लड़का चुकि नाबालिक होता
है तो उसे बच्चा मान लिया जाता है |
वो तो भला हो सोशल मीडिया का जिसने कई सारे राज
खोले फिर सारी मीडिया ने इस खबर को कवर किया नहीं तो ये केस भी अन्य केसों की तरह
अपने अंजाम तक पहुच जाता |
सोशल मीडिया पर हंगामा मचने के बाद पूरा सिस्टम
दवाव में आया और कोर्ट को उस शराबी लड़के की जमानत रद्द करनी पड़ी कहानी यही ख़त्म
नहीं हुई जमानत रद्द होने के बाद लड़के का ब्लड नमूना तक बदला गया ताकि उसके ब्लड
में शराब की पुष्टि न हो लड़के पिता पैसे के दम पर मेडिकल करने वाले डाँक्टर को भी
खरीद लिया |
लेकिन कहते है न की गुनाह अपने आप को गुनाहगार
साबित करता है सिस्टम जब नींद से जागा तो पूरे केस को उधेड़ के रख दिया पुलिस ने
लड़के के पिता ,बाबा के साथ उन डांक्टर को भी गिरफ्त में लिया जिन्होंने पैसे लेके
झूटी रिपोर्ट तैयार की थी सूत्रों के अनुशार डाँक्टर साहब ने झूठी रिपोर्ट के लिए
तीन लाख रुपैये लिए थे पुणे पुलिस ने लोगों के आक्रोश के बाद जिस तरीके से केस को
हैंडल किया वो काबिले तारीफ है लेकिन सवाल फिर उठता है की कब तक लोगों को सडकों पर
उतरना पड़ेगा और कब तक सिस्टम इन पैसे वालों के सामने पंगु नजर आयेगा |
आईये जानते है पूरे घटना क्रम के बारे में :
19 मई को हुये सड़क हादसे में मध्य प्रदेश की
रहने वाली सॉफ्टवेयर इंजिनियर अश्वनी कोष्टा और उनके दोस्त अनीश अवधिया को तेज
रफ़्तार में चल रही पोर्श कार ने टक्कर मार दी थी जिनमे दोनों की मौत हो जाती है
आरोप लगता है पुणे के रहने वाले एक बड़े बिज़नेसमैन के नाबालिक बेटे पर जो उस रात
नशे की हालत में कार चला रहा था उसने 12 का एग्जाम पास होने की खुशी में अपने
दोस्तों को पार्टी दी थी |
Porsche Car Accident :
नाबालिक के पिता विशाल अग्रवाल
ने अपने बेटे को बाचने के लिए हर तरीके के जतन किये लेकिन वो बच नहीं पाया यही
नहीं अग्रवाल फैमिली के बारे में थोडा और जान लीजिये की उनके कारनामे क्या है
नाबालिक के दादा सुरेन्द्र अग्रवाल ने अपने पोते को बचाने के लिए अपने ड्राईवर की
फैमिली को ही अपने घर में कैद कर लिया और ड्राईवर पर दवाव बनाया की वो थाने में जा
कर बयान दे की कार वही चला रहा था और हुआ भी ऐसा ड्राईवर ने बयान दिया की
एक्सीडेंट उसी से हुआ है |
नाबालिक को सुबह मिली जमानत :
इसे मजाक ही कहा जाय या कुछ और की नाबालिक जो की
शराब के नशे में धुत्त था और दो लोगों का हत्यारा भी था उसे सिर्फ इस आधार पर बेल
मिली की वह 17 साल और 8 महीने का था सजा में उसे जो दंड दिया गया वो ये था की वह
ट्रैफिक पुलिस के साथ तीन महीने रहेगा और एक निबंध लिखेगा बेल मिलते ही सोशल
मीडिया पर उबाल आ जाता है जब सोशल मीडिया पर हंगामा मचा हुआ होता है तब जाके मेनस्ट्रीम
मीडिया भी इस मुद्दे को जोर शोर से उठाती है आखिरकार जानता के भारी दवाव में पुलिस की नीद टूटती है और
कोर्ट नाबालिक की बेल रद्द कर देती है |
पुलिस ने जांच के आधार पर नाबालिक के पिता और
दादा को जेल भेज दिया नाबालिक पहले से ही बाल सुधार केंद्र में है अब सवाल ये है
की क्या ये केस अपने अंजाम तक पहुच पायेगा
या वही हश्र होगा जैसा अन्य केसों का हुआ चलिए आज की क्राइम स्टोरी में इतना ही
फिर मिलेगे एक नयी क्राइम स्टोरी के साथ तब तक के लिए अलविदा |