Indian Airlines hijacking 1971 :
आज बात करेंगे 70 के दसक में हुए एक भारतीय
विमान के अपहरण की जिसको कश्मीरी आतंकवादियों ने पाकिस्तान के शहर लाहौर में उतार
लिया और यही से पकिस्तान फस गया इस प्लेन अपहरण (Plane Hijacking) केस ने
पाकिस्तान की पूरे विश्व बिरादरी के सामने
पोल खोल के रख दी आईये जानते है क्या था पूरा मामला |
इस प्लेन अपहरण (Ganga Plane Hijacking) की
कहानी जानने से पहले हमे जानना होगा कश्मीर के अलगाव वादी नेता मकबूल बट (Maqbool
Bat) के बारे में देश के बटवारे के बाद पाकिस्तान ने कश्मीर को लेने के लिए कई
हथकंडे अपनाए लेकिन उसका मंशूबा पूरा नहीं हो सका पाकिस्तान को ये लगता था की
कश्मीर मुस्लिम बहुल होने के कारण उसको मिलना चाहिए था लेकिन कश्मीर के राजा हरी
सिंह हिन्दू थे जिन्होंने जम्मू कश्मीर का विलय भारत में कर दिया पाकिस्तान ने कश्मीर
में आम लोगों को भडकाना शुरू कर दिया ये वर्ष था 1950 पाकिस्तान आम कश्मीरी से
कहने लगा की कश्मीर तुम्हारा है तुम लोग आज़ादी के लिए जिहाद करो कश्मीरी ये सोच
रहे थे की पाकिस्तान उनके हितों की रक्षा के लिए आवाज़ उठा रहा है जबकि हालात
बिलकुल इसके विपरीत थे पाकिस्तान कश्मीर पे अपनी गिद्ध नजरें लगाए था बस यही से
जन्म होता है मकबूल बट का जिसको लोग अलगाव वादी नेता मानते है जबकि बहुत से लोगों
का मानना था की मकबूल बट (Maqbool Batt) पाकिस्तान का ही एक मोहरा था जो सिर्फ
दिखावे के लिए अलगाव वाद का चोला ओड़ के कश्मीर में आतंकवाद फैला रहा था मकबूल बट
ने 1950 में इसकी शरुआत की |
जम्मू कश्मीर प्लेबिसाइट फ्रंट :
1950 में जम्मू कश्मीर
में एक संगठन बना जिसका नाम था जम्मू कश्मीर प्लेबिसाइट फ्रंट इस संगठन ने
पाकिस्तान के इशारे पर सबसे पहले जम्मू कश्मीर में जनमत संग्रह की मांग की पाकिस्तान
को लगता था की उसकी ये चाल भारत का नक्शा बदल के रख देगी |
जम्मू कश्मीर प्लेबिसाइट
फ्रंट संगठन में कई सारे कश्मीरी युवा जुड़ने लगे इन्ही में एक नाम था मकबूल बट
(Maqbool Batt ) मकबूल बट ने कश्मीर में चारों तरफ घूम घूम कर कश्मीरी युवायों को
बरगलाना शुरू कर दिया वो खुद को कश्मीरियों के सामने फ्रीडम फाइटर के रूप में पेश करता था |
1959 : देश विरोधी गतिविधियों के चलते पुलिस ने कसा शिकंजा :
मकबूल बट (Makbool Batt )
की देश विरोधी गतिविधियों के कारण पुलिस ने मकबूल बट पर अपना शिकंजा कसना शुरू
किया तो 1959 में मकबूल बट हिंदुस्तान छोड़ कर पाकिस्तान भाग गया वही पाकिस्तान के पेशावर
यूनिवर्सिटी में दाखिला ले लिया जहां से उसने उर्दू में मास्टर डिग्री हासिल की |
मकबूल बट पाकिस्तान में
रहते हुए भी भारत विरोधी मुहिम चला रहा था वह पाकिस्तान से लगतार कश्मीर की आजादी
की मांग उठा रहा था वह कश्मीर के लोगों को झांसे में लिए हुए था वह यह कहता था की
जम्मू कश्मीर न तो पाकिस्तान के साथ रहेगा और न ही हिन्दुस्तान के साथ जम्मू
कश्मीर एक आजाद मुल्क बनेगा लेकिन हकीकत कुछ और थी |
1965 : नेशनल लिबरेशन फ्रंट (NLF) संगठन की स्थापना की
मकबूल बट (Maqbool Batt)
ने अपने साथियों के साथ मिल के नेशनल लिबरेशन फ्रंट (NLF) नामक संगठन की स्थापना की NLF कश्मीर की आजादी
के नाम पर कश्मीर में युवाओं को बरगला रहा था कहने के लिए तो वह फ्रीडम लडाई थी
लेकिन NLF का उद्देश्य सिर्फ कश्मीर में आतंक फैलाना था 1966 में मकबूल बट कश्मीर
आया और आते ही उसने सीआईडी अधिकारी अमर चन्द का अपहरण कर लिया अमर चन्द ने जब
मकबूल की कैद से भागने की कोशिस की तो उनकी गोली मार कर हत्या कर दी गयी पुलिस ने
मुखबिर की सूचना पर मकबूल बट को गिरफ्तार कर लिया दबिश के दौरान मकबूल का एक साथी
औरेंगजेब पुलिस मुटभेड में मारा गया 1968 में श्रीनगर की अदालत ने अमरचंद
हत्याकांड में मकबूल बट को फांसी की सजा सुनायी लेकिन मकबूल बट जेल में सुरंग खोद
कर जेल से फरार हो गया जेल से फरार होने के बाद वह पकिस्तान पहुच गया जहा उसकी
मुलाकात कश्मीर से आये दो लडकों से हुयी |
मकबूल बट (Maqbool Batt) की
स्टोरी आपको बताएगें किसी दूसरे आर्टिकल में अब आते है गंगा प्लेन अपहरण (Ganga
Plane Hijacking Case) मामले की ओर भारत की जेल से भाग कर मकबूल बट पाकिस्तान
पंहुचा तो वहा उसकी मुलाकात कश्मीर से आये दो लड़को से होती है जिनका नाम 17 साल का हाशिम कुरैशी और 19 साल का अशरफ
कुरैशी होता है मकबूल बट दोनों को अपने संगठन (NLF) में शामिल कर लेता है |
प्लेन हाईजैकिंग का प्लान कैसे बना (Air India Plane Hijacking):
18 जून 1969: इथियोपिया का प्लेन हाईजैक (Plane Hijack) करके कराची लाया गया
पूर्वी अफ्रीका के एक देश
इथियोपिया में इरिट्रिया को एक अलग देश बनाये जाने के लिए गृह युद्ध चल रहा था अलग
देश की मांग करने वाले संगठन ने इथियोपिया के एक विमान को हाईजैक करके कराची
एयरपोर्ट पर उतार लिया बस यही से शुरू हुयी गंगा प्लेन हाईजैकिंग(Ganga Plane Hijacking)
के प्लान की स्टोरी कई महीनों प्लेन हाईजैकिंग की तैयारी की गयी हर तरह की
ट्रेनिंग दी गयी आखिरकार वो दिन भी आ गया |
1969 में
मकबूल बट (Maqbool Batt) ने हासिम को प्लेन हाईजैकिंग की जिम्मेदारी दी हासिम को
पिस्तौल चलाना और ग्रेनेड फेकना सिखाया गया हासिम हथियारों को लेके कश्मीर आता है
लेकिन BSF उसे पकड़ लेती है हासिम BSF के सामने सारे राज खोल देता है तभी BSF ने एक
प्लान बनाया और उसको अपने साथ काम करने का न्यौता दिया हासिम इसके लिए तैयार हो
गया BSF ने उसे श्रीनगर एयरपोर्ट पर बतौर सब- इंस्पेक्टर तैनात कर दिया हासिम को
एयरपोर्ट पर तैनात करने की एक वजह यह थी की वह NLF के बाकी सदस्यों की पहचान कर
सके |
नकली पिस्तौल और लकड़ी का ग्रेनेड :
हासिम ने सब-इंस्पेक्टर
पर होने के बावजूद पूरे श्रीनगर एयरपोर्ट की जानकारी हासिल की और उसे अपने साथियों
तक पंहुचा दिया 1970 तक प्लानिंग पूरी हो चुकी थी अब हासिम को हथियारों की जरुरत
थी क्योकि वह जो ग्रेनेड और पिस्तौल लाया था उसे BSF ने अपने कब्जे में ले लिया था
हासिम ने एक तरकीब निकाली उसने नकली पिस्तौल और एक लकड़ी का ग्रेनेड बनवाया ग्रेनेड
पेंट करने के बाद असली दिखने लगा था |
30 जनवरी 1971 :
30 जनवरी
1971 की तारीख को प्लेन हाईजैकिंग के लिए चुना गया इस तारीख को चुनने की खास वजह
यह थी की इस तारीख को राजीव गांधी श्रीनगर आ रहे थे और प्लान ये था की राजीव गांधी
के प्लेन को हाईजैक करना है 30 जनवरी 1971 को हासिम और अशरफ एयरपोर्ट पहुचते है तो
वहा पता चलता है की राजीव गांधी का आने का प्लान कैंसिल हो गया है |
गंगा प्लेन को हाईजैक करने का बनाया प्लान :
ऐन वक्त पर
राजीव गांधी के ना आने से दोनों ने दूसरे विमान को हाईजैक करने का प्लान बनाया
उन्होंने इंडियन एयरलाइन्स के विमान गंगा को हाईजैक (Ganga Plane Hijack) करने की
योजना बनायीं सबसे बड़ी बात ये थी की गंगा विमान काफी पुराना था और उसको एयरलाइन्स
से रिटायर किया जा चुका था लेकिन किसी कारण बस कुछ दिन पहले ही उसे फिर से सामिल
कर लिया गया था शामिल करने का कारण क्या था ये आप आर्टिकल पूरा पढने के बाद जान
जायेंगे |
गंगा ने 11:30 पे भरी उड़ान :
30 जनवरी
1971 को श्रीनगर एयरपोर्ट से गंगा ने उड़ान भरी हासिम और अशरफ प्लेन में सवार थे
प्लेन जैसे ही जम्मू में लैंड करने वाला था हासिम ने नकली पिस्तौल पायलट की कनपटी
पर रख दी और प्लेन को रावलपिंडी ले चलने को कहा पायलट घबराए हुए थे हासिम से कहा
की प्लेन में इतना फ्यूल नहीं है जो हम लोग रावलपिंडी जा सकें अशरफ ने भी अन्दर
बैठे लोगों को हैण्ड ग्रेनेड से डरना शुरू कर दिया था आखिर में ये तय हुआ की प्लेन
को लाहौर में ले चलना है|
दिन के करीब
डेढ बजे प्लेन को लाहौर में उतरा गया दोनों ने अपनी मांग रखी की उनकी बात मकबूल बट
(Maqbool Batt) से करायी जाये पाकिस्तानी अधिकारियों ने महिलओं और बच्चों को छोड़ने
के लिए कहा जिसे दोनों ने मान लिया लेकिन उनकी बात मकबूल मकबूल बट से नहीं हो सकी
|
आल इंडिया रेडियो पर गूंजी खबर :
शाम होते
होते प्लेन हाईजैकिंग की खबर पूरे भारत में पहुच चुकी थी इसका प्रसारण आल इंडिया
रेडियो पर हुआ था वही पाकिस्तान में भी यह खबर फ़ैल गयी थी की कश्मीर की आजादी के
लिए दो युवकों ने प्लेन को हाईजैक कर लिया है एयरपोर्ट पर लोगों की भीड़ जमा होने
लगी हासिम और अशरफ अब पाकिस्तान में किसी हीरो से कम नहीं थे लेकिन अभी पूरी
स्टोरी तो बाकी ही थी प्लेन में सवार महिलओं और बच्चों को लाहौर के एक होटल में
शिफ्ट कर दिया गया और उनको कुछ दिनों बाद भारत पंहुचा दिया गया |
पाकिस्तानी विमानों को किया बैन :
गंगा प्लेन
अपहरण के बाद भारत ने अपना हवाई क्षेत्र पाकिस्तानी विमानों के लिए बंद कर दिया अब
बांग्लादेश कहे जाने वाले पूर्वी पाकिस्तान जाने के लिए भारत एक खुला वायु मार्ग
था भारत के हवाई क्षेत्र बंद होने से पाकिस्तान के विमानों को श्रीलंका होते हुए
पूर्वी पाकिस्तान जाना पड़ रहा था जो की एक बहुत ही महंगा और समय ज्यादा लगने वाला
मार्ग था |
पूर्वी पाकिस्तान में हुयी विद्रोह की शरुआत :
गंगा विमान हाईजैक
(Ganga Viman Hijack) की घटना घटे चन्द महीनों में ही पूर्वी पाकिस्तान में
विद्रोह शुरू हो गया पाकिस्तान को यह अहसास हो चुका था की कुछ गड़बड़ हुयी है
पाकिस्तान ने कार्यवाही करते हुए हाशिम, अशरफ, मकबूल
बट और उसके साथियों को गिरफ्तार कर लिया जाँच होने लगी जाँच रिपोर्ट में कहा गया
की हासिम कुरैशी हिन्दुस्तानी एजेंट था जिसने जानबूझ कर विमान अपहरण कर पाकिस्तान
लाया पकिस्तान रिपोर्ट लेकर इंटरनेशनल कोर्ट पंहुचा लेकिन तब तक बांग्लादेश आजाद
देश के रूप में जन्म ले चुका था पाकिस्तान कोर्ट ने मकबूल और उसके साथियों को रिहा
कर दिया लेकिन हासिम कुरैशी को भारत का एजेंट होने के जुर्म में 9 साल की जेल हुयी
सजा काटने के बाद हासिम वर्ष 2000 को भारत आया और उसने मीडिया को बताया की उसका
मकसद कुछ भी नहीं था वह किसी भी देश का एजेंट नहीं था ये सब मनगड़ंत कहानी है |