Ranbeer Singh Case : एम बी ए स्टूडेंट के फर्जी एनकाउंटर की कहानी जब कोर्ट ने इतिहास रचते हुए 18 पुलिस कर्मियों को सुनायी उम्र कैद

ranbeer singh fake encounter


आज की क्राइम स्टोरी में एक ऐसी कहानी बताएगें जिसको जानकर आप हैरान हो जायेंगे की एक एनकाउंटर से कैसे उत्तराखण्ड में भूचाल ला दिया और जब सीबीआई ने जांच की की तो रणबीर सिंह का एनकाउंटर फर्जी निकला और कोर्ट ने भी इतिहास रचते हुए 18 पुलिस कर्मियों को उम्रकैद की सजा सुनायी ये भारतीय इतिहास में पहली बार हुआ था की जब एक साथ इतने पुलिस वालों को उम्रकैद हुयी हो 2009 में उत्तराखण्ड में हुए इस फर्जी एनकाउंटर के बाद आज तक उत्तराखण्ड की पुलिस ने एक भी एनकाउंटर नही किया इस फर्जी एनकाउंटर से उत्तराखण्ड पुलिस पर ऐसा दाग लगया जिसके धब्बे आज भी है आईये जानते रणबीर सिंह एनकाउंटर के बारे में |


Ranbeer Singh MBA Student Encounter Case :


गजियाबाद के निवासी एम बी ए पास आउट छात्र के एनकाउंटर की गूँज पूरे देश में सुनायी दी इस फेक एनकाउंटर से उत्तराखण्ड सरकार को बैक फुट पर ला दिया और इस एनकाउंटर की जाँच सीबीआई को देनी पड़ी थी इस फर्जी एनकाउंटर की वजह सिर्फ इतनी थी की रणबीर सिंह ने एक सब-इंस्पेक्टर से बहस कर दी थी जिसके बदले उसे अपनी जान गवानी पड़ी |


3 जुलाई 2009  Ranbeer Singh अपने एक दोस्त के साथ एक दूसरे दोस्त से मिलने के लिए निकला था :


3 जुलाई 2009 को रणबीर सिंह अपने दोस्त से मिलने के लिए निकलता है उसके साथ एक और दोस्त होता है जिसका नाम रामकुमार होता है दोनों बाईक से मोहिनी रोड पर रहने वाले अशोक कुमार से मिलने जा रहे होते है उसी दिन उस वक्त की राष्टपति प्रतिभा पाटिल उत्तराखण्ड दौरे पर थी उनको देहरादून से मंसूरी जाना था रणबीर सिंह और रामकुमार एक जगह खड़े होकर अशोक का इंतजार करने लगते है वो जहा पर खड़े होते वही पर आराघर चौकी इंचार्ज जेडी भट्ट वाहनों की तलाशी अभियान में लगे हुए थे प्रतिभा पाटिल के काफिले की सूचना मिलने पर चौकी इंचार्ज सभी वाहनों को हटाने को कहते है रणवीर सिंह वही बाईक लिए खड़ा होता है जेडी भट्ट उस से पूंचतांच करते है इसी बात को लेकर रणवीर सिंह और जेडी भट्ट में विवाद हो जाता है जेडी भट्ट गलियां देने लगते है जिससे रणबीर सिंह का पारा चढ़ जाता है और हाथापाई की नौबत आ जाती है |


चौकी इंचार्ज ने पुलिस स्टेशन से और बुलाई फ़ोर्स :


चौकी इंचार्ज पुलिस स्टेशन को सूचना देते है ढालनवाला थाना इंचार्ज सन्तोष कुमार जायसवाल मौके पर पहुचते है और रणबीर सिंह को गिरफ्तार कर लेते है रणबीर का दोस्त रामकुमार घटनास्थल से फरार हो जाता है पुलिस वालों ने रणबीर पर कठोर कार्यवाही करने के लिए रणबीर सिंह के पास देशी कट्टा रखने की योजना बनाते है |


साजिस रचने के लिए इंस्पेक्टर ने कंट्रोल रूम को गलत जानकारी दी :


थाना प्रभारी सन्तोष कुमार जायसवाल रणबीर सिंह को फसाने के लिए कंट्रोल रूम को सूचना देते है की देशी तमंचे के साथ एक बदमाश को पकड़ा गया है इस सूचना के बाद शुरू होता है रणबीर सिंह के साथ यातनायें देने का दौर फिर उसके बाद पुलिस रणबीर सिंह को उसके फ्लैट पे लेके जाती है जहा उनका दोस्त रहता था वहा पर रणबीर सिंह का दोस्त रामकुमार नहीं मिलता है पुलिस फिर थाने ले जाकर रणबीर को बुरी तरह मारती है |


पुलिस का फ्लैट ले जाना और वहा के स्थानीय लोगों का देखना :


पुलिस जिस धर्मशाला के फ्लैट 9 में रणबीर सिंह को ले जाती है वहा पर रहने वाले लोग रणबीर सिंह को जख्मी हालत में देख लेते है पुलिस वालों के फर्जी एनकाउंटर की पोल खोलने में वहा के स्थानीय लोगों की भी बहुत बड़ी भूमिका रही जिससे कोर्ट को सजा सुनाने में मदद मिली |


पुलिस ने जो घटनाक्रम बतया वो कुछ इस प्रकार है :


  • 3 जुलाई 2009 को चौकी इंचार्ज जेडी भट्ट वाहनों की चेकिंग कर रहे थे अचानक उसी वक्त बाईक से आये बदमाशों ने जेडी भट्ट पर हमला करके उनकी सर्विस रिवाल्वर छीन ली और फरार हो गये |


  • कंट्रोल रूम में सूचना मिलते ही पुलिस ने तलाशी अभियान चलाया जंगलों में तलाशी के दौरान बदमाशों ने फायरिंग कर दी जिसमे पुलिस ने भी जवाबी कार्यवाही की और उनमे से एक बदमाश रणवीर पुत्र रविन्द्र की गोली लगने से घटनास्थल पर मौत हो गयी |


  • पुलिस ने बताया की मारे गये बदमाश की पहचान उसके ड्राइविंग लाइसेंस से की गयी पुलिस ने ये भी बताया की दो बदमाश मौका-ए-वारदात से फरार हो गये |

  • उत्तराखण्ड पुलिस को इस एनकाउंटर से खूब वाहवाही मिलती है मीडिया में फोटो छपती है और कई बड़े अधिकारी एनकाउंटर करने वाली टीम की पीठ थपथपाते है |


कैसे हुआ इस फर्जी एनकाउंटर का खुलाशा :


मीडिया में ये खबर बड़े जोर शोर से प्रशारित की जा रही होती है इसी से रणवीर सिंह के पिता को पता चलता है और वो अपने परिवार और रिश्तेदारों के साथ देहरादून पहुच जाते है हॉस्पिटल के बहार जहा पर रणवीर सिंह का शव रखा गया था वहा पर रणवीर के परिवारीजन हंगामा करते है हंगामा करने पर पुलिस लाठीचार्ज कर देती जिससे वहा की लोकल मीडिया सकते में आ जाती है फिर धीरे धीरे मीडिया के सामने पुलिस की पोल खुलनी शुरू हो जाती है उत्तराखण्ड सरकार जांच सीबीसीआईडी को सौप देती है लेकीन सीबीसीआईडी  भी उत्तरखण्ड पुलिस को बचाने के लिए वही वही कहानी दोहराती है जो पुलिस ने बतायी थी एक बार फिर हंगामा होता है तो उत्तराखण्ड सरकार जांच को सीबीआई को सौप देती है और सीबीआई इस केस को बहुत ही अच्छे तरीके से डील करती है |


पुलिस की खुद की बनायी हुयी चार्टशीट ने फसा दिया :


पुलिस ने जो चार्टशीट बनायी थी उसमे ये दर्शया गया था की बदमाश सर्विश रिवाल्वर लेके भाग गये और वही पे रणबीर सिंह का एनकाउंटर हो गया लेकिन सीबीआई ने जब अपनी जांच शुरू की और फ्लैट पे गयी तो वहा के लोगों ने बतया की पुलिस रणबीर सिंह को फ्लैट पे लेके आई थी यही से पुलिस के फर्जी एनकाउंटर का पर्दाफाश होने लगा उसके बाद रही सही कसर पोस्टमार्टम रिपोर्ट ने पूरी कर दी जिसमे 22 गोलियां रणबीर सिंह के जिस्म से निकली और रिपोर्ट में ये लिखा था की मृतक के जिस्म पर लगभग 24 से ज्यादा जख्मों के निशान मिले इस से ये पूरी तरह साफ़ हो चुका था की रणबीर सिंह का एनकाउंटर फर्जी थी और पुलिस की बतायी गयी सारी कहानी भी |


मीडिया रिपोर्ट की माने तो इसमे पहले कई बड़े अधिकारियों के नाम थे लेकिन दो नाम हटा लिए गये और फिर से एक नयी चार्टशीट तैयार की गयी रणबीर के माता पिता के आँखों में एक सूनापन है जिसे कोई नहीं भर सकता लेकिन उन्ही की वजह से वर्ष 2009 से और आज तक उत्तराखण्ड पुलिस दोबारा एनकाउंटर करने का साहस नही जुटा पायी है |


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