आज की क्राइम स्टोरी में हम बात करेंगे पुलिस
हिरासत में एक छात्र की मौत की जिसकी पुलिस वालों ने हत्या कर दी ये बात उस समय की
जब पूरे देश में आपातकाल चल रहा था सारे बड़े नेताओ को जेल में कैद कर दिया गया था
और मीडिया पर प्रतिबंध लगा दिया गया था केरल पुलिस हिरासत में यातना देकर पी राजन (P.RAJAN)
की हत्या अब तक का सबसे घिनौना चेहरा है
आईये जानते है इस घटना के बारे में |
29 फरवरी 1976 स्थान : कोड़िकोड इंजीनियरिंग कॉलेज:
29 फरवरी को 1976 को
पुलिस कोड़िकोड इंजीनियरिंग कॉलेज पहुचती है और पी राजन को गिरफ्तार कर लेती है
पुलिस ने जब पी राजन को गिरफ्तार किया तो कालेज प्रशासन को बताया गया की कुछ
पूंचतांछ करनी है पी राजन की गिरफ़्तारी की सूचना जब तत्कालीन प्रिंसपल को हुयी तो
उन्होंने ने ख़त के माध्यम से इसकी जानकारी हिंदी के रिटायर्ड प्रोफेसर टीवी इचारा
को दी |
P.RAJAN के पिता टीवी
इचारा कोड़िकोड के गवर्नमेंट आर्ट्स एंड साइंस कॉलेज में पढाते थे रिटायर्ड होने
के बाद कोच्चि में रहने लगे थे उस वक्त देश में आपात काल चल रहा था पी राजन के
पिता कई थानों के चक्कर लगा रहे थे लेकिन उन्हें किसी भी थाने से सही जवाब नही मिल
रहा था कई दिनों तक चक्कर लगाने के बाद उन्होंने उन्होंने कोर्ट में अपने बेटे की
गायब होने की याचिका दायर की लेकिन आपातकाल होने की वजह से सुनवायी धीमी रही |
p.rajan:के पिता ने खुद जुटाई जानकारी :
P.राजन के पिता टीवी
इचारा खुद से जानकारी जुटाई उनको पता चला की उनके बेटे की गिरफ़्तारी तिरुअनंतपुरम
के तत्कालीन पुलिस उप महानिरीक्षक (डिप्टी इंस्पेक्टर जनरल), अपराध शाखा के आदेश
पर हुयी थी |
10 मार्च 1976 को गृहमंत्री से संपर्क किया :
टीवी इचारा ने 10 मार्च
1976 को तत्कालीन गृहमंत्री करुणाकरण से संपर्क किया गृहमंत्री ने भरोशा दिया की
उनकी पूरी मदद की जाएगी टीवी इचारा ने प्रधानमंत्री से लेकर राष्ट्रपति से भी संपर्क
किया लेकिन मदद के नाम पर उनको सिर्फ अस्वासन ही मिला केरल के जितने भी सांसद से
वो उनसे भी मिलने गये वहा भी उन्हें मदद का झुनझुना पकड़ा दिया गया |
तत्कालीन प्रधानमंत्री ने चुनाव की की घोषणा :
आपातकाल ख़त्म होने के बाद
तत्कालीन प्रधानमंत्री इन्द्रागांधी ने चुनाव करवाने की घोषणा की चुनाव की घोषणा
होते ही सभी बड़े बड़े राजनेताओ को जेलों से रिहा किया जाने लगा टीवी इचारा को अब
यकीन हो गया पुलिस ने अगर आपातकाल के दौरान गिरफ्तार किया है तो उसे रिहा कर दिया
जायेगा वो फिर से हर थानों के चक्कर लगाने लगे |
11 महीनों से तलाश कर रहे
टीवी इचारा को उस वक्त एक उम्मीद की किरण नजर आई जब उस वक्त के एक मशहूर कमुनिस्ट
नेता ने तत्कालीन गृहमंत्री करुणाकरण का एक पत्र दिखाया जिसमे पी राजन की रिहाई की
बात लिखी गयी थी लेकिन जब उनकी नजर पत्र पड़ी तारीख पर गयी तो उनको बहुत निराशा
हुयी क्योकि वो पत्र लगभग 4 महीने पुराना था |
करुणाकरण के जुठे वादे से
टीवी इचारा को बहुत हताशा हुयी उन्होंने एक बार फिर P.Rajan को खोजने का फैसला
किया पी राजन के पिता ने कई केन्द्रीय
जेलों के चक्कर काटे लेकिन हर जगह उन्हें निराशा ही हाथ लगी कई पुलिस अधिकारियों
से संपर्क किया आपातकाल के दौरान बनाये गये पुलिस कैंप का भी दौरा किया लेकिन उन्हें पी राजन की कही भी सूचना नही मिली अपने बेटे को
खोने के गम में पी राजन की माँ ने अपना दिमाकी संतुलन खो दिया |
तत्कालीन मुख्यमंत्री से मांगी मदद :
टी वी इचारा ने तत्कालीन
मुख्यमंत्री सी. अच्युता मेनन से अपने बेटे को खोजने की गुहार लगायी लेकिन
मुख्यमंत्री ये कहते हुए की ये मामला गृहमंत्री देख रहे है इस लिए वो इसमे कोई मदद
नहीं कर सकते है मुख्मंत्री का ये जवाब सुनकर टी वी इचारा को बहुत हताशा हुयी |
हर जगह से निराश होकर किया जनता का रुख :
टी वी इचारा जब हर जगह से
हताश हो गये तो उन्होंने जनता का रुख किया पी राजन को पता करने के लिए और आम
जनमानस का समर्थन जुटाने के लिए उन्होंने लोगों में पर्चे बांटने शुरू कर दिए धीरे
धीरे उनकी ये मेहनत रंग लायी और आम लोगों का समर्थन मिलने लगा |
25 मार्च 1977 : खटखटाया कोर्ट का दरवाजा :
केरल हाई कोर्ट में दायर
याचिका में पूछा था की पुलिस ने क्या 19 फरवरी 1976 को उनके बेटे को गिरफ्तार किया
था और क्या पी राजन पुलिस हिरासत में है उन्होंने जोर देते हुए कहा था की उनका
बेटा पुलिस हिरासत में ही है क्योकि राजन को जब पुलिस ने कालेज से गिरफ्तार किया
था तो कई दोस्तों ने देखा था और पुलिस ने ये भी कहा था की पूंचतांछ करनी है टी वी
इचारा ने अदालत से गुजारिस की की उनके बेटे कोर्ट में पेश किया जाये |
केश के खुलने से समूचे केरल में हुआ हंगामा :
केश जब जनता के सामने आया
तो समूचे केरल में जमकर हंगामा हुआ लेकिन केरल सरकार साफ मुकर गयी की पी राजन को
पुलिस ने पकड़ा था उसके बाद बड़े अधिकारी पल्ला झाड़ते नजर आये किसी ने भी ये नही
माना की पी राजन को कभी पुलिस हिरासत में लिया गया था हद तो तब हो गयी जब
गृहमंत्री करुणाकरण ने ये कह के पल्ला झाड़ा की उनकी पी राजन के बारे में कोई
जानकारी ही नही है और न ही कोई पत्र लिखा था |
11 छात्रों ने P Rajan मामले में दी गवाही :
राजन के मामले में 11
छात्रों की गवाही बहुत ही महत्वपूर्ण थी जिनको कालेज प्रशासन ने बड़ी मुश्किल से
तैयार किया था और उन सबको भरोशा दिलाया गया था की उनकी सुरक्षा की पूरी जिम्मेदारी
कालेज की है ये वही छात्र थे जिहोने पुलिस को गिरफ्तार करते देखा था या कुछ ऐसे भी
थे जिनको राजन के साथ गिरफ्तार किया गया था |
13 अप्रैल 1977 : गवाहों की हुयी पेशी
13 अप्रैल 1977 को गवाहों
की पेशी शुरू हुयी गवाहों के आधार पर कोर्ट ने अपना फैसला सुनाया कोर्ट ने कहा की पुलिस ने P Rajan को गिरफ्तार कर यातनाये दी है
पुलिस को आदेश दिया गया की पी राजन को कोर्ट में पेश किया जाये तत्कालीन गृहमंत्री
ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया लेकिन वहा से भी निराशा हाथ लगी सुप्रीम कोर्ट
ने केरल हाईकोर्ट के फैसले को बरक़रार रखते हुए पुलिस को ये आदेश दिया की पी राजन
को तत्काल प्रभाव से कोर्ट में पेश किया
जाये केरल के सभी छात्र संघठन आंदोलन कर रहे थे कोर्ट के आदेश के वाबजूद कभी भी
राजन को पेश नही किया जा सका |
कार्यवाही आंगे बड़ने से
पुलिस की मुश्किले बडती जा रही थी और उसका चेहरा भी बेनकाब हो रहा था केरल हाई
कोर्ट सख्त रुख अपनाते हुए गृह सचिव और पुलिस महानिरीक्षक के पहले दिए गए बयानों
को खारिज करते हुए कहा की पुलिस राजन को इस लिए पेश नही कर रही है की हो सकता है
की राजन की हत्या कर दी गयी हो कोर्ट की इस सख्त टिप्पणी से पूरे राज्य की पुलिस
को शर्मशार कर दिया मीडिया ने भी इस पूरे मामले को बड़े जोर शोर से उठाया आम जनमानस
में भी भारी आक्रोश था अदालत ने माना की पी राजन को पुलिस कैंप में भारी यातनाये
दी गयी जिससे राजन की मौत हो गयी अदालत ने ये भी कहा पुलिस ने जो भी बयान दिए वो
सब गलत है |
कोर्ट ने ये भी माना की
पी राजन को पुलिस ने कालेज से गिरफ्तार किया कोर्ट ने करुणाकरण, पुलिस उप
महानिरीक्षक जयराम पडिकल पर मुकदमा चलाने का आदेश दिया और सभी दोषी पुलिस कर्मियों
के खिलाफ सख्त कदम उठाने की वकालत की |
अब आईये जानते है P.Rajan को गिरफ्तार क्यों किया गया :
28 फरवरी की रात कयन्ना
पुलिस थाने पर हमला हुआ हमलावर पुलिस की बंदूके लूट कर भाग जाते है पुलिस को
नक्सलवादियों पर शक होता इसी आधार पर वही पास में बने जंगल के कैंप में गिरफ्तार किये गये छात्रों को रखा जाता सुबह
कालेज से पी राजन और उसके कुछ दोस्तों को भी गिरफ्तार करके उसी कैंप में ले आती है
जहा पर सभी को जम कर यातनाये दी जाती है जबकि पी राजन थाने में हमले की रात फारुख
कालेज में थे ये वहा के तमाम छात्रों ने खुद गवाही में कही जिस कैंप में राजन और अन्य छात्रों को रखा गया
था वो वायनाड़ के जंगलों में मौजूद केरल राज्य विद्युत बोर्ड की एक इमारत में था
जहा पर पी राजन सहित अन्य छात्रों को लाया गया और उनको बुरी तरह पीटा गया हैवानियत
की इन्तहा तो तब हो गयी जब पी राजन के ऊपर लकड़ी मोटी बेलन रख के उसके ऊपर पुलिस
वाले खड़े हो गये और उसके पूरे शरीर पर घुमाते रहे देर रात तक राजन के चिल्लाने की
आवाज दूसरे छात्रों ने सुनी लेकिन धीरे धीरे आवाज़ आनी बंद हो गयी |
Memories of a father : पी राजन के पिता ने लिखी किताब
अपने बेटे के याद के रूप
में टीवी इचारा ने एक किताब लिखी जिसमे उन्होंने सुरु से लेके आखिर तक जो कुछ हुआ
उसमे उन्होंने लिखा ये भी लिखा की कैसे उनके बेटे को यातनाये दी और बताया की राजन
को यातनाये सिर्फ इस लिए दी गयी की उसने स्वीकार कर लिया था की बन्दूक चोरी की ये
सब उसने इस लिए स्वीकार किया की उसे और मार न पड़े पुलिस बन्दूक की बरामदगी के लिए
वायनाड के जंगलो में जाती लेकिन राजन पुलिस को बता देता है की उसने मार से बचने के
लिए झूट बोला है बस इसी बात को लेकर पुलिस उसे फिर पीटते लगती है इतनी ज्यादा
यातनाओ को बाद राजन की मौत हो जाती है |
एक बाप को अपने बेटे की
लाश तक नसीब नही हुई और न ही वो अंतिम संस्कार कर पाए | दोस्तों आज की क्राइम
स्टोरी में इतना ही फिर मिलेगे एक नयी स्टोरी के साथ |
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