यह आज की सबसे दिलचस्प
खबर आपके लिए होने वाली है थोड़ा सा इंतजार
कीजिए क्योंकि सबसे पहले आज हम आपको यह बता रहे हैं कि प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह
की यूपीए सरकार अपने कार्यकाल में कैसे पाकिस्तानी आतंकवादियों से बातचीत कर रही
थी यह खुलासा कश्मीर के आतंकवादी और जम्मू कश्मीर लिबरेशन फ्रंट((JKLF)के प्रमुख
यासीन मलिक ने अदालत में दिए अपने एफिडेविट में किया है लेकिन पहले आपको यह बताते हैं कि यासीन मलिक है कौन? आप में से बहुत
सारे लोग शायद यासीन मलिक को भूल चुके होंगे या आज हमारे जो युवा पीड़ी है , वो शायद यासीन मलिक को ठीक से नहीं जानती होगी
कि यासीन मलिक कितना खतरनाक आदमी है |
कौन है यासीन (yaseen) मालिक ?:
यासीन मलिक (yaseen
malik) एक कश्मीरी आतंकवादी है जिसे कांग्रेस की सरकार ने अलगाववादी का नाम दे
दिया था खतरनाक आतंकवादी यासीन मलिक पर
आरोप है कि वर्ष 1989 में उसने पूर्व
गृह मंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद की बेटी रुबैया सईद का अपहरण किया था क्यों अपहरण
किया था? क्योंकि इसके
बदले वो कुछ आतंकवादी जो जेल में बंद थे उन्हें रिहा कराना चाहता था और कुछ आतंकवादियों
को रिहा किया भी गया तो सोचिए क्या जमाना था 1989 में भारत के गृह मंत्री की बेटी का अपहरण कर लेते हैं आतंकवादी
और फिर अपने साथियों को उसके बदले में जेल से रिहा करा लेते हैं।
वायुसेना(IAF)के चार अधिकारियों की बेरहमी से की हत्या :
फिर इसके अगले ही वर्ष
जनवरी 1990 में यासीन मलिक
ने श्रीनगर में सरेआम भारतीय वायुसेना(IAF)के चार अधिकारियों की हत्या की वायुसेना
के ये चारों अधिकारी उस समय सड़क पर अपनी बस का इंतजार कर रहे थे और तभी यासीन
मलिक दूसरे आतंकवादियों के साथ मोटरसाइकिल पर आया और उसने AK-47 राइफल से इन
अधिकारियों को गोलियों से बुरी तरह से भून दिया।
इस आतंकवादी हमले(Terrorist
Attack) में तब 22 से ज्यादा लोग
घायल हुए थे। इस हमले में वायुसेना के स्क्वाडन लीडर रवि खन्ना(Ravi Khanna)की मौत
हो गई थी एक स्क्वाडन लीडर सोचिए उसकी हत्या इस आतंकवादी ने की और स्क्वाडन लीडर रवि खन्ना
की पत्नी ना जाने कितने वर्षों तक इंसाफ के लिए दर-दर भटकती रही उनके घर को उजाड़ने
वाले आतंकवादी को कांग्रेस सरकार ने पाला था ।
इस आतंकवादी हमले के करीब
30 वर्षों के बाद
सोचिए इंसाफ कब मिला? 30 साल के बाद वर्ष
2020 में जम्मू की
स्पेशल टाटा कोर्ट में यासीन मलिक(yaseen malik)के खिलाफ आरोप तय हुए। सजा नहीं
हुई सिर्फ आरोप तय हुए हैं 2020 में जाकर और यह मामला आज भी अदालत में चल रहा है। यानी इस
हत्या की सजा आज भी यासीन मलिक को नहीं मिली है अभी तक यह केस चल रहा है इस समय
यासीन मलिक टेरर फंडिंग के एक मामले में दिल्ली की तिहाड़ जेल में उम्र कैद की सजा काट
रहा है और उस पर आरोप है कि उसने जम्मू कश्मीर में हिंसा फैलाने के लिए आतंकवाद
फैलाने के लिए और आतंकवादियों के नेटवर्क को तैयार करने के लिए आतंकवादियों को
मजबूत करने के लिए पाकिस्तान से पैसा लिया था।
अब आप समझ गए होंगे कि यासीन मलिक कितना खतरनाक आतंकवादी है और वह भारत का कितना बड़ा दुश्मन है। वह आप सबका कितना बड़ा गुनहगार है अब जो बात आपको सबसे ज्यादा हैरान करेगी वो यह है कि वर्ष 2006 में जब देश में यूपीए की सरकार थी कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार जिसमें प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह थे और जब यूपीए की चेयर पर्सन स्वयं सोनिया गांधी थी उस समय भारत सरकार ने इस तरह के आतंकवादियों को शांतिदूत बनाकर पाकिस्तान में हाफिज सईद(Hafiz Syeed)जैसे खतरनाक आतंकवादियों से मीटिंग करने के लिए कहा था।
ताकि भारत में पल रहा यह
आतंकवादी(Terrorist)पाकिस्तान में हाफिज सईद जैसे खतरनाक आतंकवादियों से मिलकर
कश्मीर पर बातचीत कर सके अब आप सोचिये शांति के लिए बातचीत कौन कर रहा है? इधर से जाने वाला
एक आतंकवादी वहां पाकिस्तान में बैठे दूसरे खतरनाक आतंकवादी से मीटिंग कर रहा है
किस लिए?
कश्मीर को लेकर आज आपको
यह समझ में आएगा कि आजादी के 75 साल तक कश्मीर की समस्या कभी हल क्यों नहीं हो पाई अब पूरी
कहानी सुनिए। वर्ष 2006 में यासीन मलिक
पाकिस्तान गया था और उस समय उसकी मुलाकात लश्कर के प्रमुख हाफिज सईद से हुई और
पाकिस्तान में बैठे दूसरे खतरनाक आतंकवादियों से भी इसने मीटिंग की यासीन मलिक अब अपने एफिडेविट में यह दावा करता
है कि उसने कश्मीर के मामले पर प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की मदद करने के लिए हाफिज
सईद और दूसरे पाकिस्तानी आतंकवादियों के साथ मीटिंग की थी और मध्यस्था कराने
की कोशिश की थी यासीन मलिक ने दावा किया है कि उसने पाकिस्तानी आतंकवादियों से यह
मुलाकात उस समय के आईबी के स्पेशल डायरेक्टर वी के जोशी के कहने पर की थी।
कोर्ट को दिए गए हलफनामे
में यासीन मलिक ने कहा कि जब मैं
पाकिस्तान से इन सारे आतंकवादियों से मिलकर वापस दिल्ली आया तो आईबी के स्पेशल
डायरेक्टर वी के जोशी ने मुझसे एक होटल में मुलाकात की और मुझसे कहा कि पाकिस्तान
में आपकी जो भी बातचीत हुई है इन सारे आतंकवादियों से उसके बारे में आप आज शाम को
ही प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से मिलिए और उन्हें ब्रीफ करिए उन्हें पूरा बताइए कि पाकिस्तान
में क्या-क्या हुआ आप आप समझे कि वह आता है और उसी दिन शाम को उसे भारत के
प्रधानमंत्री के साथ अपॉइंटमेंट मिल जाती है वह प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से मिलने
जाता है ।
और फिर उसने बताया की प्रधानमंत्री
मनमोहन(Manmohan Singh) सिंह ने यासीन
मलिक की तारीफ की उनका धन्यवाद किया और कहा कि आप जो कोशिश कर रहे हैं, अपना समय जो लगा
रहे हैं और आपकी जो कोशिश है इस देश के प्रति, कश्मीर के प्रति उसको मैं अप्रिशिएट करता हूं उसकी तारीफ
करता हूं।
और फिर आगे चलकर वह यह
बता रहा है कि देखिए मैंने तो यह सब कुछ किया था भारत सरकार के कहने पर और आगे
चलकर इसी चीज को मेरे खिलाफ इस्तेमाल किया गया और मुझे आतंकवादियों के साथ जोड़कर
दिखाने की कोशिश की गई यासीन मलिक का कहना है कि
देखिए मैं तो आईबी के स्पेशल डायरेक्टर के कहने पर इन सारे आतंकवादियों से मिला पाकिस्तान
में मैंने भारत के कहने पर,
भारत सरकार के
कहने पर मैंने इनसे बातचीत की।
फोटो इनके साथ खिंचवाई
बाद में वापस आकर भारत के प्रधानमंत्री को सब कुछ बता दिया लेकिन आगे चलकर इसी मीटिंग को मेरे खिलाफ
इस्तेमाल किया गया आज आप उस समय की कल्पना कीजिए जब भारत के नेशनल सिक्योरिटी
एडवाइजर एम के नारायणन और प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह यासीन मलिक जैसे खतरनाक
आतंकवादी देश के दुश्मन को दिल्ली पहुंचते ही उसी शाम मिलने का समय दे देते हैं और
फिर उसका धन्यवाद भी करते हैं।
अब आपको बताते हैं कि
यासीन मलिक ने यह एफिडेविट अदालत में क्यों दिया है वर्ष 2022 में स्पेशल
एनआईए कोर्ट ने टेरर फंडिंग के एक मामले में यासीन मलिक को आजीवन कारावास की सजा
दी थी हालांकि जांच एजेंसी एनआईए ने इस फैसले को दिल्ली हाईकोर्ट में चुनौती दी और यासीन मलिक को
फांसी की सजा देने की मांग की।
यानी अदालत ने उन्हें
आजीवन कारावास की सजा सुनाई है लेकिन एनआईए कहता है कि नहीं उम्र कैद नहीं इस आदमी
को फांसी की सजा होनी चाहिए और इसी मामले में यासीन मलिक ने दिल्ली हाई कोर्ट में
अपना यह एफिडेविट दायर किया है तो लड़ाई यह चल रही है कि यह जो टेरर फंडिंग का
मामला है, मामला क्या है कि
यासीन मलिक को पाकिस्तान से पैसा मिलता था किस चीज का पैसा? कश्मीर में
पत्थरबाजी कराने के लिए, कश्मीर में
आतंकवाद फैलाने के लिए, कश्मीर में
युवाओं को आतंकवादी
बनाने के लिए, आतंकवादियों का
नेटवर्क मजबूत करने के लिए यह यासीन मलिक पाकिस्तान से पैसा लेता था।
वो बात भारत की अदालतों
में साबित हो गई उम्र कैद की सजा यह अभी काट रहा है और एनआईए कहता है कि नहीं उम्र
कैद नहीं बल्कि इसे फांसी की सजा मिलनी चाहिए प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और यासीन
मलिक की मुलाकात की तस्वीर आने के बाद पूरे देश का यही सवाल था कि आखिर
प्रधानमंत्री ने एक खतरनाक आतंकवादी से मुलाकात क्यों की? जिस आतंकवादी के
हाथ में खून लगा हुआ है जिसने भारतीय एयरफोर्स के चार अधिकारियों की खुलेआम हत्या
की है जिस पर इतने गंभीर आरोप हैं जिसने भारत के होम मिनिस्टर की बेटी को किडनैप
किया।
उससे प्रधानमंत्री मनमोहन
सिंह आखिर क्यों मिले? आप इस समय
प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और यासीन मलिक की मुलाकात की ये तस्वीरें देख रहे हैं
जिसकी बहुत चर्चा उस समय भी हुई थी हालांकि हम इस बात की पुष्टि नहीं कर सकते कि
यह वर्ष 2006 की वही मुलाकात
है लेकिन आप देख सकते हैं कि मुलाकात हो रही है सोचिए जब प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह
की यूपीए सरकार पाकिस्तानी आतंकवादी हाफिज सईद से बात कर रही थी जब यासीन मलिक हाफिज सईद से
मिलने के लिए पाकिस्तान जा रहा था।
और भारत की सरकार यह
सोचती थी कि कश्मीर में शांति स्थापित करने के लिए हाफिज सईद को मक्खन लगाना जरूरी
है हाफिज सईद से बात करना जरूरी है और उन्होंने इन आतंकवादियों से बातचीत शुरू कर
दी थी इस बातचीत के करीब 1 महीने के बाद ही
पाकिस्तान ने भारत पर एक बड़ा आतंकवादी हमला करवा दिया मार्च 2006 में उत्तर
प्रदेश के वाराणसी में प्रसिद्ध संकटमोचन मंदिर और रेलवे स्टेशन पर दो शक्तिशाली
बॉम्ब ब्लास्ट हुए थे। जिसमें 28 लोगों की मौत हो गई थी और 100 से ज्यादा लोग घायल हो गए थे 28 लोग मारे गए थे।
याद कर लीजिए फरवरी 2006 में यासीन मलिक
ने हाफिज सैयद से मुलाकात की और जुलाई 2006 यानी 5 महीने के बाद ही लश्कर तैयबा ने मुंबई की लोकल ट्रेंस में सीरियल बम धमाके
किए सात सीरियल बम धमाके किए सात सात जगहों पर जिसमें 209 लोगों की मौत
हुई आप इस संख्या को याद रखिएगा 209 लोग मारे गए और 700 से ज्यादा लोग घायल हो गए मुंबई के लोगों को आज भी यह सीरियल
बम ब्लास्ट जरूर याद होंगे और यह हमला आतंकवादियों के साथ इस बातचीत के सिर्फ 5 महीने के बाद
हुआ था।
फिर आगे बढ़ते हैं। मई 2008 में राजस्थान की
राजधानी जयपुर में आठ स्थानों पर सीरियल बम ब्लास्ट हुए जिसमें 71 लोग मारे गए और 200 से ज्यादा लोग
घायल हुए यह धमाके जानबूझकर ऐसी जगहों पर की गई जहां पर बहुत भीड़भाड़ होती है
भीड़भाड़ वाले बाजारों में और धार्मिक स्थलों पर यह हमले किए गए और आपने देखा होगा
एक कोशिश उस समय चल रही थी कि मंदिरों पर हमले किए जाएं।
पाकिस्तानी आतंकवादियों
से यूपीए की सरकार की बातचीत के बाद सबसे बड़ा हमला हुआ 2008 मुंबई में लश्कर
तबा के 10 आतंकवादियों ने
हमला करके तीन दिनों तक पूरी मुंबई को अपना बंधक बनाकर रखा और इस हमले में मुंबई
के मशहूर ताज होटल
ओबेरोय होटल नरिमन हाउस छत्रपति शिवाजी टर्मिनस और बहुत सारी जगहों पर आतंकवादी
हमले हुए और इस हमले में 175 लोग मारे गए और 300 से ज्यादा लोग
घायल हुए इस आतंकवादी घटना को 26-11 का हमला भी कहा
जाता है ।
यह सब कुछ तब हो रहा था
जब भारत की सरकार उस समय पाकिस्तान में बैठे इन खतरनाक आतंकवादियों से बातचीत कर
रही थी इन्हें शांति दूत समझ रही थी और सोचती थी कि इनके बिना कश्मीर में शांति हो
नहीं सकती और यह लोग क्या कर रहे थे यह आपके सामने है यह उस समय के कुछ बड़े आतंकवादी हमले हैं
हालांकि यह वो दौर था जब लगातार बम धमाके और टेरर अटैक करके पाकिस्तान के आतंकवादियों ने
भारत को छलनी कर दिया था ना जाने कितने भारत के नागरिकों का खून बहाया था।
यानी जब यूपीए सरकार के
कहने पर पाकिस्तानी आतंकवादियों से बातचीत हुई तो देश ने उसकी बहुत बड़ी कीमत
चुकाई और पाकिस्तान के इन आतंकवादियों ने यह दिखा दिया कि वो शांति में विश्वास करते
ही नहीं मै उस दौर की बात कर रहा हूं जब लोगों को घर से बाहर निकलने में डर लगने
लगा था उस दौर की बात कर रहा हूं जब कोई होली, दिवाली जैसा मौका आता था, कोई त्यौहार का मौका आता था तो लोग एक दूसरे से
कहते थे कि त्यौहार के दिन बाजार मत जाना त्यौहार के दिन किसी शॉपिंग मॉल में मत
जाना क्योंकि आतंकवादी कभी भी कहीं भी हमला कर सकते हैं।
इतना डर फैला हुआ था इस
देश में अब आपको आतंकवाद के खिलाफ यूपीए सरकार के युग में और मोदी युग में क्या फर्क
है यह दिखाते हैं मनमोहन सिंह की सरकार पाकिस्तानी आतंकवादियों से बात करती थी और
मोदी सरकार उन आतंकवादियों और उनके ठिकानों को मिट्टी में मिलाती है एक सरकार
मीटिंग करती थी और दूसरी सरकार मिट्टी में मिलाती है मनमोहन सिंह की सरकार ने
आतंकवादियों के खिलाफ कमजोर नीति अपनाई और प्रधानमंत्री मोदी ने साफ संदेश दिया कि
आतंकवादियों को घर में घुसकर मारने की नीति ऐसे ही चलती रहेगी ।
पूर्व प्रधानमंत्री
मनमोहन सिंह आज अपना बचाव करने के लिए हमारे बीच नहीं है हम यह नहीं कह सकते कि
आतंकवादियों से बातचीत या मीटिंग करने की जो नीति थी, यह खुद स्वर्गीय
मनमोहन सिंह ने बनाई थी क्योंकि आज ना तो वह अपना पक्ष रखने के लिए हमारे बीच में
हैं और ना ही अपना बचाव करने के लिए हमारे बीच में है इसलिए हम आज भी यह नहीं कह
सकते कि यह उनकी मर्जी से हो रहा था, उनकी इच्छा से हो रहा था यह उनकी खुद की बनाई हुई नीति
थी या फिर उस सरकार में उनके ऊपर भी कोई ऐसा बैठा हुआ था जिसने उनसे यह सब करने के
लिए कहा था और उन्हें यह सब करना पड़ा ।
हालांकि आज कांग्रेस के
नेता कह रहे हैं कि आतंकवाद से बातचीत करना, आतंकवादी से बातचीत करना यूपीए सरकार की नीति का हिस्सा था
आप मोदी युग और यूपीए सरकार के युग में आतंकवाद के खिलाफ यह फर्क स्पष्ट तौर पर आज
आप देख सकते हैं टेररिस्ट के साथ हफीज वगैरह के साथ तो संपर्क
में थे ये तो पहले भी आया था एक एफिडेविट के द्वारा हुआ है मतलब इनकी सोच क्या थी ? आज देश में टेररिस्ट एक्टिविटी क्यों कम हुई है ? क्योंकि हमारी
सोच बहुत स्पष्ट है हमारे प्रधानमंत्री जी ने और गृह मंत्री जी ने बार-बार
कहा है घुस के मारेंगे अभी तो यासीन मलिक को पकड़ के
अंदर डाला है ये वही यासीन मालिक है जो प्रधानमंत्री जी के निवास में जाके बिरयानी
खाता था आज वही आतंकवादी जेल की रोटिया तोड़ रहा है |
हमें नहीं समझ में आ रहा
कि यह सिलेक्टिवली आप एफिडेविट के कुछ पन्नों को लीक करके क्या हासिल कर लेंगे
प्रधानमंत्री एक देश के अगर देश की नीति है कि संवाद करना है तो तमाम स्टेक
होल्डर्स से बात कर रहे हैं वो वाजपेयी जी हो या मनमोहन सिंह जी हो तो क्या गलत है? तो आज यह सच्चाई
एक आतंकवादी ने खुद ही अपने एफिडेविट में पूरे देश को बता दी है और यह हम नहीं कह
रहे हैं यह मेरा कोई अंदाजा नहीं है यह मेरा कोई आकलन नहीं है यह यासीन मलिक नाम
का आतंकवादी है, इसने दिल्ली
हाईकोर्ट में खुद एक एफिडेविट में यह सब कुछ लिखा है।
कई बार आपको यह बात समझ
में नहीं आती होगी कि आखिर कश्मीर की जो समस्या थी वह हल क्यों नहीं हुई? इतने दशक बीत गए
इसे हल करने के लिए क्या किसी भी सरकार ने कोई प्रयास नहीं किया? और अब जाकर
कश्मीर में इतने बड़े क्रांतिकारी बदलाव किए गए हैं क्या यह इससे पहले नहीं हो
सकते थे? आज आपको यह जो पहले की सरकारें थी खासतौर पर जो
कांग्रेस के समर्थन वाली कांग्रेस की सरकारें थी यूपीए की सरकार थी उनकी नीति
पाकिस्तान और आतंकवाद को लेकर बिल्कुल अलग थी।
कश्मीर को लेकर उनकी नीति
बिल्कुल अलग थी आतंकवाद पर उनकी जो नीति थी वो बड़ी दोस्ताना वाली नीति थी वो आतंकवादियों
से रिक्वेस्ट करते थे आतंकवादियों के साथ शांति वार्ताएं करते थे आतंकवादियों के
साथ सम्मेलन करते थे आतंकवादियों से रिक्वेस्ट करके कहते थे कि भाई आप मान जाइए और
हमारे साथ बातचीत कर लीजिए। हम अपना आदमी भेजते हैं आपके पास।
आप बताइए आपको क्या चाहिए? यह स्वर हुआ करते
थे भारत के लेकिन आतंकवादी एक ही भाषा को समझते हैं और वह है मिट्टी में मिलाने की
भाषा को और पिछले 11 साल से मोदी
सरकार उन्हें इसी भाषा में समझा रही है और अब आप देख लीजिए पाकिस्तान के जो आतंकवादी
हैं उन्हें अब एक-एक बात अच्छे से समझ में आती है क्योंकि उनकी भाषा में हम उन्हें
समझा रहे हैं चाहे उरी का सर्जिकल स्ट्राइक हो, बालाकोट का एयर स्ट्राइक हो या फिर अब ऑपरेशन सिंदूर हो यह
सब कुछ उन्हें ठीक से समझ में आ रहा है यही भाषा उनके साथ अपनाई जा सकती है |
अब कांग्रेस के पाकिस्तान
प्रेम के बारे में आज आपको एक और बड़ी खबर बताते हैं कि पहले इंडियन ओवरसीज
कांग्रेस के प्रमुख सैम पितरोदा जो थे उन्होंने फिर एक बार विवादित बयान दिया और कहा
है कि पाकिस्तान उन्हें अपने घर जैसा लगता है और उन्होंने यह भी सलाह दी है कि
भारत को पाकिस्तान के साथ अपने रिश्तों को और बेहतर बनाना चाहिए ।
सैम पित्रोदा कांग्रेस के
नेता माने जाते हैं और कई लोग तो उन्हें राहुल गांधी का गुरु बताते हैं लेकिन पाकिस्तान
से उन्हें कितना प्रेम है अगर आज इनकी सरकार आ जाए तो यह अपने दरवाजे पाकिस्तान के
लिए फिर से खोल देंगे और शायद उन आतंकवादियों से फिर से बातचीत करने की कोशिश शुरू
कर देंगे उनका आज का बयान सुनिए
तो सैम पित्रोदा कहते हैं
कि पाकिस्तान में मुझे घर जैसा लगता है बांग्लादेश में भी मुझे घर जैसा लगता है नेपाल
में भी मुझे घर जैसा लगता है तो सैम जी को सायद ये नहीं पता की यह सब पहले भारत का
ही हिस्सा थे।
ये सारे जो देश हैं ये एक
जमाने में भारत का हिस्सा थे तो घर जैसा तो लगेगा ही लेकिन अगर शरीर का कोई हिस्सा
दर्द देने लगे शरीर के किसी हिस्से में कैंसर हो जाए तो आप क्या करेंगे? क्या हम
पाकिस्तान में घर जैसा महसूस करते हैं तो क्या उन्हें इजाजत दे दें कि वह भारत में आतंकवाद
फैलाएं।
बांग्लादेश में अगर घर
जैसा महसूस करते हैं तो उनके घुसपैठियों को यहां मकान देना शुरू कर दें सैम पित्रोदा
को राहुल गांधी का बहुत करीबी माना जाता है उनका गुरु भी माना जाता है और इससे
पहले मई 2024 में सैम पित्रोदा
ने एक और ऐसा ही विवादित बयान दिया था जिसमें उन्होंने नॉर्थ ईस्ट के लोगों की
तुलना चीन के लोगों से की थी और दक्षिण भारत के लोगों की तुलना अफ्रीका के लोगों
से की थी और इस विवाद के बाद उन्हें इंडियन ओवरसीज कांग्रेस के अध्यक्ष पद से
इस्तीफा देना पड़ा था अब बीजेपी ने कहा है कि सैम पित्रोदा को अपने बयान पर माफी मांगनी
चाहिए क्या जो सैम पित्रोदा ने कहा क्या वो देश विरोधी नहीं है? वो गांधीवाड्रा
परिवार की देश विरोधी मानसिकता उनका चाल
चरित्र भारत की यूनिटी और इंटेग्रिटी के खिलाफ दर्शाता है।
गांधीवाड्रा परिवार का दिल
सैम पित्रोदा के बयान से ये स्पष्ट हो गया हिंदुस्तान के अंदर नहीं बसता उनका दिल
पाकिस्तान आतंकी पाकिस्तान में बसता है गांधीवाड्रा परिवार को इस देश के वीर
सैनिकों से इस कथनी पे माफी मांगनी चाहिए और कांग्रेस ये जान ले की ये देश कभी भी
इस तरीके के बयान को माफ नहीं करेगा ।

