What is Autism ?
आज हम बात करेंगे एक ऐसी बीमारी के बारे में जो
बीमारी न होते हुये भी एक बहुत बड़ी बीमारी है जी हा अगर आप आटिज्म के बारे में
जानना चाह रहे है तो ये आर्टिकल जरूर पढ़े |
आटिज्म ( Autism ) एक तरह का मानसिक दोष या
विकार होता है इसमे मस्तिक का सम्पूर्ण विकास नहीं हो पाता है आटिज्म से पीड़ित
व्यक्ति को अक्सर दूसरों से घुलने मिलने में कठिनाई होती है आटिज्म से ग्रसित व्यकित
का मस्तिक कई कामों को एक साथ करने में सफल नहीं हो पाता है |
Autism पीड़ित व्यक्ति अलग तरह से सोचते है और
देखते है उनकी जीवन शैली और जीने का तरीका अलग होता कई बार ये सुना गया है की
आटिज्म अगर आप पीड़ित है तो आप को पूरी जिन्दगी आटिज्म के साथ ही जीना पड़ेगा यहां
पर ये जानना बहुत जरुर्री है की autism कोई बीमारी नहीं है ये सिर्फ एक तरह से
मस्तिक का धीरे धीरे विकसित होना होता है |
Autism जो मेरा शोध है वो मैंने पाया है की ये
जन्म से होता है मेरे पास हर रोज कई फ़ोन कॉल्स आते है जिनमे सिर्फ 3 या 4 साल के बच्चों के माता पिता ही बात करते
है तो यहां से मैंने ये निष्कर्ष निकला की आटिज्म जन्म से ही होता है इसको पहचाना
ऐसे जा सकता है जैसे जब बड़ा हो रहा होता है तो वो बोलता नही है और जब बुलवाते है
तो वो एक वर्ड बोलता है फिर चुप हो जाता है फिर आप कोशिस करते है फिर वो बोलेगा |
Autism को टीक करने का को इलाज तो नहीं है लेकिन
एक तरीका है वो सिर्फ ये है की बच्चे के साथ बहुत नरमी से पेश आये क्योकि अक्सर ये
देखा जाता है जब माता पिता बच्चे को बुलवाने की कोसिश करते है और वो नही बोलता है
तो माता पिता बच्चे को डांटने लगते है बस यहीं से गलत होने लगता है बच्चा डर जाता
है और फिर वो बोलने से बचने लगता है |
बच्चे के साथ कैसा बर्ताव करें :
- सबसे पहले बच्चे को हर रोज कही न कही घुमाने ले जाये |
- बच्चा जब कुछ भी इशारा करे और बोलने की कोशिस करे तो उसे ध्यान पूर्वक सुने रोकें टोकें नहीं |
- कोशिस ये करें की बच्चे को उसकी उम्र के बच्चो के साथ में रखें |
- बच्चे को जितना हो सके अकेला मत होने दे उसको धीरे धीरे वर्ड बोलना सिखायें |
- बच्चा अगर कुछ कहना चाह रहा है तो उसे समझने की कोशिस करें कि बच्चा क्या कहना चाह रहा है |
आटिज्म पर जो हमारा रिसर्च है वो ये है की ये
जन्म से ही होता है अगर आप ये सोच रहे है की आटिज्म एक बीमारी है किसी भी उम्र में
लग सकती है तो ऐसा मैंने कभी नहीं देखा है |
Autism को वैसे तो कई भागों में बाटा गया है
लेकिन जो बेसिक है वह यही है की आटिज्म डिसऑर्डर में बच्चे देर से बोलना सीखते है
और बच्चा जब देर से बोलता है तो माता पिता की चिंताए बड जाती है |
Autism की पहचान :
- बच्चे का नजरे चुराना इधर उधर देख के बात करना |
- अपने ही नाम को ना बता पाना इधर उधर इशारे करने लगना |
- कम बोलना अकेला रहना अकेले में खेलना छूने पर गुस्सा होना |
- बोलने में सामान्य तरीका न होना बोलने में एक लय में न बोल पाना |
- हिलते डुलते बात करना और पहले वर्ड का ना बोल आना |
ऐसे कई सारे लक्षण है जो अक्सर आटिज्म से पीड़ित
बच्चों में देखे गए है लेकिन ये जो ऊपर बताये गए लक्षण है वो सभी में पाये जाते है
autism आटिज्म से पीड़ित बच्चों का असमान्य होना एक कॉमन बात है |
क्या Autism को ठीक किया जा सकता है :
सभी के मन में ये सवाल जरुर आता होगा जिनके घर
में भी आटिज्म से पीड़ित कोई बच्चा होगा यहा पर आपको बताना चाहता हू की आटिज्म
बिलकुल ठीक हो सकता बस इसमे पैरेंट को धैर्य रखने की जरुरत है |
आटिज्म एक दिन या एक महीने में सही नहीं होगा ये
एक ऐसी थेरेपी है जो सालों साल दी जाती है और इसके और इसके बहुत अच्छे रिजल्ट भी
सामने आये है जो पैरेंट कोशिस करते रहते है और हिम्मत नहीं हारते है सफलता हमेशा
उन्ही को मिलती है |
अक्सर जो मैंने देखा है आटिज्म से पीड़ित माता
पिता जब किसी भी जगह जाते है तो 2 तीन दिन या हफ्ते भर तो जायेंगे फिर उसके बाद
जाना बंद कर देंगे फिर दूसरा थेरापिस्ट खोजने लगेंगे ऐसे पैरेंट्स से मेरा सिर्फ
यही कहना है की आटिज्म एक दिन या एक महीने में ठीक नहीं होगा ये सालों साल चलने
वाला प्रोसेस है अगर इस तरह से बार थेरापिस्ट को बदलते रहे तो फिर बच्चा भी
थेरापिस्ट से घुल मिल नहीं पायेंग क्योकि जब तक बच्चा थेरापिस्ट के साथ कम्फर्ट हो
पाता है आप वहा जाना ही बंद कर देते है तो आप सभी से रिक्वेस्ट है की बार
थेरापिस्ट को न बदले बार बार थेरापिस्ट बदलने से बच्चे के ऊपर नकारात्मक प्रभाव
पड़ता है बस माता पिता का धैर्य ही बच्चे को नया जीवन दे सकता है |
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